मैं निर्भित हो कर जीने का , तुमको यह मार्ग दिखाता हूं |
तुममे है शक्ति असीम भरी, मैं उसका बोध कराता हूँ ||
मत भूलो तुम उस वानर को, जो शक्ति पुंज पर बैठा था |
स्मृति विहीन अकुलाया सा, अपनी शक्ति को भूला ||
जब जामवंत के शब्दो से , उसको शक्ति का बोध हुआ |
वो सात समुन्दर पार गया ,रावण की लंका फूँक गया ||
तुमको भी आज जरूरत है , निज शक्ति पुंज को जगाने की |
मैं जामवंत इस जीवन में , तुमको यह बोध कराता हूँ |
और निर्भित हो कर जीने का, तुमको यह मार्ग दिखाता हूँ ||