नित जीवन की इन रहो पर, जब साथ न हो कोई अपना |
हर मार्ग भ्रमित कर जाता हो , हर चिंतन भारी लगता हो |
तू जीवन में उम्मीद तो रख, नित नया सवेरा जागेगा ||
इंसानो के इस मेले में, हर कोई जूझ रहा हरदम |
कुछ जीत रहे , कुछ हार रहे , पर अपनी बाजी खेल रहे |
तू नितत अकेला यूँ बैठा , संघर्षो से क्यों भाग रहा |
इस जीवन में उम्मीद तो रख , नित नया सवेरा जागेगा ||
मैंने सदियों से देखा है, अपने अनुभव से जाना है |
सब ज्ञान शक्ति बेमानी है, गर जीवन में उम्मीद न हो ||
जो चिर उम्मीद में रहता है, वो जीत गया हारी बाजी |
तू जीवन में उम्मीद तो रख, नित नया सवेरा जागेगा ||